डॉक्टरों ने माना कि उनके लिए अहितकारी है एनएमसी बिल, हर हाल में रोकेंगे
सेहतराग टीम
अब तक राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक को देश हित के खिलाफ बता रहे डॉक्टरों में अब इस विधेयक को लेकर बेचैनी बढ़ती जा रही है। अब डॉक्टरों के संगठनों ने दबे स्वर में ये मानना शुरू कर दिया है कि ये बिल दरअसल डॉक्टरों के हित के खिलाफ है और इसे हर हार में रोकेंगे। इसके लिए डॉक्टरों ने पूरे देश में अनिश्चितकाल के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को ठप करने की धमकी दी है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार लगातार ये कहती रही है कि ये एक क्रांतिकारी विधेयक है जिससे इस देश में मेडिकल शिक्षा का चेहरा हमेशा के लिए बदल जाएगा।
बिल के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की अपील पर बुधवार को पूरे देश में डॉक्टरों ने ओपीडी सेवाएं ठप रखीं। डॉक्टरों ने धमकी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो वो बेमियादी हड़ताल पर जाएंगे। डॉक्टर यदि बेमियादी हड़ताल पर गए तो पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं के चरमरा जाने की आशंका है। इस बार डॉक्टरों ने आपातकालीन सेवाओं को भी बंद करने की धमकी दी है।
गौरतलब है कि एनएमसी भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) का स्थान लेगा। इस विधेयक को सोमवार को लोकसभा ने पारित कर दिया और इसे बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (एफओआरडीए) ने कहा, ‘रेजिडेंट डॉक्टर बृहस्पतिवार को विरोधस्वरूप ओपीडी, आपातकालीन विभागों और आईसीयू में काम नहीं करेंगे और अगर राज्यसभा में विधेयक पेश किया जाता है तथा पारित किया जाता है तो हड़ताल को अनिश्चितकाल के लिए जारी रखा जाएगा।’
एफओआरडीए ने आरोप लगाया कि विधेयक ‘गरीब विरोधी, छात्र विरोधी और अलोकतांत्रिक’ है। एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने प्रस्तावित हड़ताल के संबंध में प्रशासन को नोटिस दिया। इसके अलावा, विभिन्न अस्पतालों में विरोध जारी है और डॉक्टरों ने काली पट्टी बांध कर काम किया।
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने भी विधेयक की कई धाराओं पर आपत्ति जताई है। आईएमए ने बुधवार को 24 घंटे के लिए गैर जरूरी सेवाओ को बंद करने का आह्वान किया है। देश में डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के सबसे बड़े संगठन ने अपनी स्थानीय शाखाओं में प्रदर्शन और भूख हड़ताल का आह्वान किया था तथा विद्यार्थियों से कक्षाओं का बहिष्कार करने का अनुरोध किया था।
संगठन ने एक बयान में चेताया कि अगर सरकार उनकी चिंताओं पर उदासीन रहती है तो वह अपना विरोध तेज करेंगे। एफओआरडीए, यूआरडीए और आरडीए-एम्स के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई संयुक्त बैठक में एनएमसी विधेयक 2019 का विरोध करने का संकल्प लिया गया।
एम्स आरडीए, एफओआरडीए और यूनाइटेड आरडीए ने संयुक्त बयान में कहा कि इस विधेयक के प्रावधान कठोर हैं। बयान में कहा गया है कि विधेयक को बिना संशोधन के राज्यसभा में रखा जाता है तो पूरे देश के डॉक्टर कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाएंगे जो समूचे देश में स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर सकता है। अनिश्चितकालीन समय के लिए जरूरी और गैर जरूरी सेवाओं को बंद किया जाएगा।
डॉक्टरों का कहना है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री खुद एक डॉक्टर हैं। उन्होंने संसद की स्थायी समिति की अहम सिफारिशों को शामिल करने के बजाय विधेयक के कई प्रावधानों को बदल दिया है और नए प्रावधान डॉक्टरों के लिए अहितकारी हैं। डॉक्टरों ने दावा किया कि विधेयक से ‘झोला-झाप’ डॉक्टरों को बढ़ावा मिलेगा।
आईएमए के महासचिव आर.वी. अशोकन ने कहा कि विधेयक की धारा 32 साढ़े तीन लाख अयोग्य गैर-चिकित्सा व्यक्तियों को आधुनिक चिकित्सा पद्धति से इलाज करने के लिए लाइसेंस के योग्य बना देगी।
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